________________ 140 ] नित्य नियम पूजा बादाम खजूरं, दाडिम पूरं, निंबुक भूरं ले आयो / तासो पद जजों,शिवफल सजो निजरसरज्जों उमगायो ।श्री. ॐ हों श्री गांति नायजितेंद्राय मोशन प्राप्तये फलं नि / वसुद्रव्य संवारो, तुमढि गधारी आनन्दकारी दृगप्यारी / तुम हो भतारी करूनाधारी यातै थारो, शरनारी श्री. 9 ॐ ह्रीं श्री शांति नाय जिनेंद्राय अनघपदप्राप्तये अर्घ नि० / (पंचकल्याणक अर्ध (सुन्दरी तथा द्रुतविलंबित छन्द) असित सातय भादा जानिये, गरम मंगल तादिन मानिये / शचि कियो जननी पद चर्वन हम कर इत ये पर अर्जनं // ही भाद्रपद कृष्णसप्तम्यां गर्भमङ्गलमंडिताय श्रोशांतिनाथायाघ जनन जेठ चतुदशि श्याम है, सफलइन्द्र सु आगत धाम है गजपुरै गज माजि सबै तबैं, गिरि जमैं इत मैं नजि हो अबै / * डोंगष्टकृष्ण चतुर्दश्यां जन्म मंगलप्राप्ताय श्री शांतिनाथाया, भव शरीर सुभाग असार है, इमि विवार तबै तप धार है। भ्रमर चौदसि जेठ सुहावनी, परमहेत जजों गुन पावनी / / ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्ण चतुर्दश्यां निःक्रमण महोत्सव मण्डिताय श्रो शांतिनाथाया / शुकलपोष दशैं गुखराश है, परम केवल-ज्ञान प्रकाश है / भवस पुद उधान को, हम कर नित मंगल सेवको / / ... डों पोष शुक्ल दशम्यां केवलज्ञान प्राप्ताय श्री शांतिनायाया / असित चौदसि जेठ हनें अरि,गिरि समेदथकी शिव-तिय-वरो प्रकलइन्द्र में तित आयकै, हम ज में इत मस्तक नायके / 5 ॐडों ज्येष्ठकृष्णावतुर्दश्यां मोक्षमंगल प्राप्ताय श्रीशांतिनाथाया