________________ [ 135 नित्य नियम पूजा वसुविधिहरि वसु भू वसे वसु गुणयुत शिव ईश / नमूनाथ वसु अंग तिन, दायक पद जगदीश // 3 // बाप धरै आचार शुभ, पर आचरावन हार / सो आचरज गुणधर, नमू शीश कर धार ||4|h. आप अंग पूरव बढे, शिषनि पढावत सोय / ___ ते उवझाय सु नाय सिर, नमू देव धी मोय // 5 // मोक्ष मार्ग साधन उदित, धरै मूल गुण साध / ___मैं शिवसाधन साधु पद, नमूहरन भव वाधि // 6 // इहि विधि पंचनि प्रगमिकर, रचू पूज सुखकार / तातै प्रथमहि पढनि को, समुचय जजि हूँ सार ।पुष्पा.. [अथ पंच परमेष्ठी सामान्य पूजा] अडिल्ल-प्रथम नमू अरिहन्त सिद्ध अरु सूर ही, ___ उपाध्याय सब साधु नम गुण पूरहो // परम इष्ट यह पंच जजों जुग पादही, आह्वाननं विधि करू सगुन गुण गावहीं / / ह्रीं श्री अरहन्तादि सर्वसाधुपर्यंत पंचपरमेश्ठिन् अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं / अत्र तिष्ठ 2 ठः ठः प्रतिष्ठापनं. बत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम् / अथाष्टक-गीता छन्द / वर मिष्ट स्वच्छ सुगन्ध शीतल, सुर सरित जल लाइये। भरि कनक झारी धार देतें, जन्म मृत्यु नशाइये / /