________________ 132 ] नित्य नियम पूजा जयमाला दोहा-बालब्रह्मचारी भये, पांचो श्री जिनराज : तिनकी अब जयमालिका, कहूँ स्वपर हितकाज / / जय जय जयजय श्रीवासुरज्य तुम सम जगमें नहीं और दूज / तुम महालक्ष सुर लोक छार. जब गर्भ मात मांहि पधार / षोडश स्वपने देखे तुमात, बल अवधि जान तुम जन्म तात / अति हर्षधार दंपति सुजान, बहु दान दिया जाचक जनान || छप्पन कुमारिका कियो आन.तुम मात सेव बहु भक्ति ठान / छः मास अगाऊ गर्ने आय, धनपति सुवरन नगरी रचाय / / तम तात महल आंगन मंझार तिहूँकाल रतन धारा अपार / घरपाये पट नवनाम सार, धनि जिन पुरुषन नयनन निहार जय मल्लिनाथ देवन सदेव, शतइन्द्र करत तुम चरन सेव / तुम जन्मत ही त्रयज्ञान धार, आनन्द भयो तिहुँ जग अपार तबही ले चहु विधि देव संग, सौधर्म इन्द्र आयो उमंग / सहि गज ले तुम हर गोद आप,बन पांडुक शिल उपर सुथाप क्षीरोदधि ते बहु देव जाय,भरि जल घट हाथोहाथ लाय / / करि न्हवन वस्त्रभूपण सजाय, दे ताल नृत्य तांडव कराय / पुनि हर्षधार हृदये अपार, सब निर्जर तब जय जय उवार / तिस अवसर आनन्द हे जिनेश हम कहिवे समरथ नांहि लेश जय जादोपति श्री नेमिनाथ हम नमत सदा जुग जोरि हाथ तुम ब्याह समय पशुवन पुकार, सुन तुरत छुडाये दयाधार / कर कंकण अरु सिर मौर बन्द, सो तोड भये छिनमें स्वछन्द