________________ .........................नित्य नियम पूजा ए आठ भेद करम अछेदक, ज्ञानदर्पण देखना। इस ज्ञानहीसौं भरत सोझा, और सब पट पेखना // 2 // ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय पूर्णाऱ्या निर्मपामीति स्वाहा / चारिका पूजा दोहा-विषयरोग औषध महा दवकषाय जलधार / तीर्थंकर जाकों धरै सम्यक्चारितसार // 1 // ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्र ! अत्र अवतर 2 संवौषट् / ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्र ! अत्र तिष्ठ 2 ठः ठः ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्र ! अत्र मम सन्निहितो भव२ वषट् सोरठा-नीर सुगन्ध अपार, तषा हरे मल छय करें / सम्यक्चारित सार, तेरह विध पूजौं सदा // 1 // ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय जलं निन० स्वाहा / जल केसर घनसार, ताप हरै शीतल करें / सम्यक्चारित सार, तेरह विध पूजौं सदा / / 2 / ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय चन्दनं निर्व० स्वाहा / अक्षत अनूप निहार, दारिद नाशै सुख भरै / सम्यक्चारित सार, तेरह विध पजों सदा // 3 // ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय अक्षतान् निर्व० स्वाहा / पहुप सुवास उदार, खेद हरै मन शुचि करे / सम्यञ्चारित सार, तेरह विध पजौं सदा // 4 // ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय पुष्पं निन० स्वाहा / नेवज विविध प्रकार, छधा हर थिरता करें / सम्यक्चारित सार, तेरह विध पूजों सदा // 5 //