________________ नित्य नियम पूजा नेवज विविध प्रकार, छधा हरै थिरता करै। सम्यग्ज्ञान विचार, आठ भेद पजौं सदा // 5 / ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय नैवेद्य निर्वापामीति स्वाहा / दीप ज्योति तमहार, घटपट परकाशै महा सम्यग्ज्ञान विचार, आठ भेद पूजौं सदा // 6 // ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय दीपं निर्मपामीति स्वाहा / धूप घ्राण सुखकार, रोगविघन जडता हरै / सम्यग्ज्ञान विचार, आठ भेद पूजौं सदा / / 7 / / ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय धूपं निर्मपामोति स्वाहा / श्रीफल आदि विथार, निह सुरशिवफल करें। सम्यग्ज्ञान विचार, आठ मेद पूजौं सदा // 8 // ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय फलं निर्मपामोति स्वाहा / जल गन्धाक्षत चारु, दीप धूप फल फूल चरू। सम्यग्ज्ञान विचार, आठ भेद पूजौं सदा / / 9 / / ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा / जयमाला दोहा-आप आप जाने नियत, ग्रन्थ पठन व्योहार / संशय विभ्रम मोह बिन अष्टअङ्ग गुनकार / / 1 / / चौपाई मिश्रित गीता छन्द / सम्यग्ज्ञान रतन मन भाया, आगम तीजा नेन बताया। अच्छर शुद्ध अरथ पहिचानो, अच्छर अरथ उभय संगजानो। जानौ सुकाल पठन जिनागम, नाम गुरु न छिपाइये / तपरीति गहि बहु मौन देकै विनय गुन चित लाइये / /