________________ 92] नित्य नियम पूजा उसंघको वात्सल्य कीजै धरमकी परभावना / गुण आठसौ गुन आठ लहि के, इहां फेर न आवना // 2 // ॐ ह्रीं अष्टांगसहित-पंर्चावशतिदोषरहिताय सम्यग्दर्शनाय पूर्णाध्य ज्ञान पूजा पंचभेद जाके प्रगट, ज्ञेय प्रकाशन भान / मोह तपन-हर-चन्द्रमा सोइ सम्यकज्ञान / / ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञान ! अत्र अवतर अवतर, संवौषट् / ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञान ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः / ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञान ! अब मम सन्निहितो भव भव वषट् सोरठा-नीर सुगन्ध अपार, तषा हर मल छय करे / सम्यक्सान विचार, आठ भेद पूजौं सदा // 1 // ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय जलं निर्वपामोति स्वाहा / जलकेशर घनसार, तोप हरै शीतल करे / सभ्यज्ञान विचार, आठ मेद पूजौं सदा / / 2 / / ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय चन्दनं निर्वपामोति स्वाहा / अक्षत अनुप निहार, दारिद ना सुख भरै / सम्यकज्ञान विचार आठ भेद पजौं सदा // 3 // ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा / पहूच सुवास उदार खेद हरे मन सुचि करें। सम्यकज्ञान विचार, आठ भेद पूजौं सदा // 4 // ॐ ह्रीं अष्टविधसम्यग्ज्ञानाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा /