________________ नित्य नियम पूजा................................. नेवज विविध प्रकार, क्षधा हरै थिरता करें / सम्यकदर्शनसार, आठ अङ्ग पूजौं सदा / / 5 / / ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शनाय नैवेद्य निर्व' स्वाहा। दीप ज्योति तमहार, घटपट परकाशैं महा / सम्यकदर्शनसार, आठ अङ्ग पूजौं सदा / 6 // ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शनाय दीपं निर्व० स्वाहा / धूप घ्राणसुखकार. रोग विधन जडता हरै।। सम्यकदर्शनसार, आठ अङ्ग पूजौं सदा / / / ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शनाय धूप निर्वः स्वाहा / श्रीफल आदि विथार, निहचै सुर शिवफल करे / सम्यकदर्शनसार, आठ अङ्ग पूर्जी सदा // 8 // ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शनाय फलं निर्ब० स्वाहा / जल गंधाक्षत चारु दीप धूप फल फूल चरु / / सम्यकदर्शनसार, आठ अङ्ग पूजौं सदा / 9 / / ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शनाय अर्घ्य निर्व० स्वाहा / जयमाला दोहा-आप आप निहचै लखौ, तत्वप्रीति व्योहार / रहित दोष पच्चीस हैं, सहित अष्टगुण सार || 1 // चौपाई मिश्रित गीता छन्द सम्यकदर्शन रतन गहीजी, जिन-वच में संदेह न कीजै। इहभव विभव-चाह दुखदानी, पर भव भोग चहै मत प्रानी। प्राणी गिलान न करि अशुचिलखि, धरम गुरू प्रभु पर खिये परदोष ढकिये धरम डिगतेको मुथिर कर हरखिये।