________________ 'नित्य नियम पूजा [95 ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय नैवेद्यं निर्व० स्वाहा / दीप ज्योति तमहार, घटपट परकाशै महा / सम्यक्चारित सार, तेरह विध पूजौं सदा / / 6 / / ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय दीपं निर्न० स्वाहा / धूप घ्राणसुखकार, रोग विधन जडता हरै। सम्यक्चारित सार, तेरह विध पूजौं सदा / 7 / ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय धूपं निर्व० स्वाहा / __ श्रीफल आदि विथार, निहचै सुर शिवफल करें / सम्यक्चारित सार, तेरह विध पृजौं सदा / 8 / ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय फलं निर्न० स्वाहा / जल गंधाक्षत चारु, दीप धूप फल फूल चरु / सम्यक्चारित सार, तेरह विध पूजौं सदा / 9 // ॐ ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय अर्घ्य निर्वा० स्वाहा / जयमाला दोहा। आप आप थिर नियत नय, तपसजम व्योहार / स्वपर दया दोनों लिये, तेरह विध दुखहार // 10 // चौपाई मिश्रित गीता छन्द सम्यक्चारित रतन संभालो, पांच पाप तजिके व्रत पालो। पंचसमिति त्रय गुपतिगहीजै, नर भव सफल करहूँ तन छीजै॥ छिजे सदा तनको जतन यह, एक संजम पालिये। बहु रूल्यो नरक निगोद मांही, विषय कषायनि टालिये // शुभ करम-जोग सुघाट आयो पार हो दिन जात है / . 'द्यानत' धरम की नाव बैठो शिवपुरी कुशलात है // 2 // ह्रीं त्रयोदशविधसम्यक्चारित्राय महाऱ्या निन० स्वाहा /