________________ जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास 36. . जी०च० 10/126 40. जी०च० 10/132 41. जी०च० 11/40, त्रिश०पु०च०२/१/१९८-२०६, 2/3/163-177 42. पा०च०२/५५-५७. व०च०७/१, त्रिशपु०च० 1/5/253-61, य०० पू०ख 3/116, 2/44 / 43. द्वि०म०२/१२, 22 एंव इस पर कविदेवरभट्ट द्वारा की गयी वृत्ति च०च० 4/47 45. य०च०पू०ख 3/72 46. . त्रिश०पु०च०२/१/१६३-७०, च०च० 12/57, बं०चं० 2/8, 13, 14, 33. 50. 53.. त्रिश०पु०च० 2/1/174-76 48. त्रिशपु०च० 1/1/260-63, जी०च० 7/36, य०च०उ०ख०४/२०८, जी०च० 1/30-32, 10/30 46. जी०च० 1/66-73 / / जी०च० 1/65-76 51. य०च०पू०ख 3/123-271 हम्मीरकाव्य 2/22 त्रिश०पु० च० 1/4/248-66 बं०चं० 11/53-65 चं०च० 12/58-76 जी०च० 11/2 द्वि०म० 2/13 प०का० 2/257-60 जी०च० 10/132 60. प०का० 10/103, द्वि०म० 1/31-34 61. द्वि०म०२/२३ 62. च०च० 16/5 63. च०च० 15/137 64. द्वि०म० 7/50-51 65. बं०च० 21/55-57 66. प०का०६/१६ 67. य०च०पू०ख 3/16 68. द्विम०२/१४, च०च० 5/23, य०च०प०ख०३/२६०