________________ 112 जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास 37. ज्ञा०धक० 1 पृ० 23 38. ना०ध०क० 16 पृ० 186 . 36. ज्ञात ध०क० 16 पृ०.१६८. अन्तकृदशा 3 पृ० 16 40. पु०क०को० पृ० 371, आ०क०को० भा० 2 पृ० 67 41. जैव्यु०नि० पृ० 260 / 42. उ०द०४ पृ० 61 43. बृ०क००सं० पृ० 216, व०हि० पृ० 132 44. पु०क०को० पृ० 82, पृ० 16 45. पु०क०को० पृ० 1679 पृ० 126, पृ० 107 46. ज्ञा०ध०क० पृ०२५, उ०सू० पृ० 16 47. ज्ञा०,०क० पृ० 46, आ०चू० पृ० 264, 357, अ०श०३. पृ०१४ 48. आ०पु० 5 16/103. 104 46. कु० पा० प्र० पृ० 21-22 50. कु०पा०प्र० पृ० 21-22 51. व०हि० पृ० 233 52. दो हजार वर्ष पुरानी कहानियाँ पृ० 101, आ० क० को० भा०२ पृ० 63 53. नायाधम्म कहा 2 पृ० 220-230 . 54. ह० पु० पृ० 326, पं० चन्द्राबाई अभिनन्दन ग्रन्थ पृ० 481 55. ज्ञा०ध०क० 8, क०सू०टी० 2 पृ० 32 56. ज०वी०प्र० 3/67, उ०टी० 18, पृ० 247 57. व्य० भा०३/२३३ 58. क०स०सा० 1 ऐपिडैक्स 4 पृ० 138 56. ध० प० श्लोक 11-13, म०नि०पृ० 24 60. आ० पु० 44/86 61. म०नि० पृ० 42 62. आ० पु० 17/86 63. नायाधम्म कहा पृ० 108 64. नायाधम्म कहा पृ० 60 65. व० हि० पृ० 206 / दृष्टापि दृष्टापि : कूराभिः कृतक वचन मुडाभिः / धुर्तो मुष्णांति वधूं मुग्धा विप्रोषिते पत्यौ।। क०० 6/56 66. “आजकल' अगस्त 1670 में प्रकाशित - धूर्त शिरोमणि मल्लदेव एंव धूर्त विद्या नामक लेख 67. व०हि० पृ० 210, 247-248 68. क०वि० 1/18, 16, यश० च० भाग 2 पृ० 145