________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [53 ====== === = ====== लौंग इलायची पिस्ता किसमिश, दाख बदाम छुहारे लाय। श्री जिनचरण चढ़ावत श्रीफल, पावत मुक्त श्रीफल जाय॥ मेरु सुदर्शन.॥९॥ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल चंदन अक्षत प्रसून ले, चरुवर दीप धूप फल सार। अरघ बनाय चढाय गाय गुण,नरभव सुफल करें तिहबार॥ मेरु सुदर्शन. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ / अथ प्रत्येकार्घ - सोरठा पद्म देश महान, तहां विजयारध गिर कहो। ता ऊपर जिन थान, मैं पूजू मन लायकें॥११॥ ___ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी पद्मा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ॥ नाम सुपद्मा देश तहां विजयारध गीरी लसै। तापर जिन गृह वेश, मैं पूजू हरषायकै॥१२॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी सुपा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥२॥ अर्घ॥ महापद्मा शुभ देश तहां विजयारध सोहनो। तहां जिन भवन विशेष, भविजन पूजो भावसों॥१३॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी महापद्मा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥३॥ अर्घ॥ पद्मकावती जान, देश महा सुन्दर बसै। रूपागिर जनथान, वसुविध पुजों भावसों॥१४॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी पद्मकावती देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥४॥ अर्घ॥