________________ 52] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान =================== मेरु सुदर्शन पश्चिम दिशमें, हैं षोड़स बैताड महान। तिनपर श्री जिमंदिर सो हैं, तिनप्रति पूजों उर धर ध्यान॥ ____ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी पद्मा // 1 // सुपद्मा॥२॥ महापद्मा॥३॥ पद्मकावती॥४॥ सुसंखा // 5 // नलिना॥६॥ कुमदा // 7 // सरिता // 8 // वप्रा॥९॥ सुवप्रा // 10 // महावप्रा // 11 // वप्रकावती॥१२॥ गंधा // सुगंधा // 14 // गंधला॥१५॥ गंधमालनी देश संस्थित रूपाचल 59 सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१६॥ जलं॥ चंदन अरु मलयागिर घसकर, केशर अरु करपूर मिलाय। श्री जिनचरण चढ़ावत भविजन, भव आताप मिटे दुखदाय॥ मेरु सुदर्शन.॥३॥ॐ ह्रीं. // चंदनं॥ सुंदर अक्षत सरस मनोहर, मुक्ताफल सम उजल लाय। पुंज देत श्रीजिनवर आगै, शिवसम्पत सुख विलसै जाय॥ मेरु सुदर्शन.॥४॥ ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ कमल केतकी श्री गुलाब अरू, बेला फूल अनेक प्रकार। लावत सुरगन कल्पवृक्षके, कामबान मेटन हितकार॥ मेरु सुदर्शन. // 5 // ॐ ह्री. // पुष्पं // घेबर बावर मोदक फेनी, नेवज नाना विध पकवान। श्री जिनचरण चढावत भविजन, क्षुधा रोग भागै भय मान॥ मेरु सुदर्शन.॥६॥ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ जगमग जोत होत रतननकी, ऐसे दीपक ले हरषाय। करो आरती जिन चरणनकी, मोह तिमिर भाजै भय खाय॥ ___मेरु सुदर्शन.॥७॥ ॐ ह्री. // दीपं॥ खेवत धूप अगनमें धरकै, फैले गंध दसों दिश जाय। जारै कर्म बंध अनादिके, मेंटत श्री जिनवरके पाय॥ मेरु सुदर्शन.॥८॥ ॐ ह्रीं. ॥धूपं //