________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [51 arwarehararSNNNNNNNNNNNNN ताके पुत्र पौत्र अरु सम्पति, बाढ़े अधिक सरस सुखदाय। यह भव जस परभव सुखदाई, सुरनर पदले शिवपुर जाय॥ इत्याशीर्वादः इति श्री सुदर्शन मेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी षोडश विजयारध पर सिद्धकूट जिनमंदिरपूजा सम्पूर्णम्। अथ सुदर्शनमेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी षोडश रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं.८ अथ स्थापना (मद अवलिप्तकपोल छन्दा मेरु सुदर्शन पश्चिम दिशमें, कहे विदेह सु षोडश जान। तहां षोडश बैताड़ मनोहर, तिनपर श्रीजिन भवन वखान॥ सुर विद्याधर पूजन आ3, गावै गुण मन हरष सु आन। हम पूजत आह्वानन करके, अपने घरमें आनंद मान॥ ___ ॐ ह्रीं सुदर्शनमेरुके पश्चिमविदेह सम्बन्धी षोडश विजयारध गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव२ वषट सन्निधिकरणम् स्थापन। अथाष्टकं-मद अवलिप्त कपोल छन्द क्षीरोदधको उज्जल जल ले परम सुगंधित नैन निहार। श्रीजिनचरण प्रक्षालित भविजन,जन्म जन्म दुखको निरवार॥