________________ 54] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान 88888888888888888889 देश सुसंखा सार जहां बैताड सुहावनो। तहां जिन भवन निहार, पूजों तन मन लायकै॥१५॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी सुसंखा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो // 5 // अर्घ॥ नलिन देश सुखकार, तहां विजयारध गिर बनो। तापर मंदिर सार, श्री जिनवर पद पूजिये॥१६॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी नलिन देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥६॥ अर्घ॥ कुमदा देश सुजान, है बैताड़ सुहावनो। तापर भवन प्रमान, श्री जिनवर पद पूजिये॥१७॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी कुमदा नाम देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥७॥ अर्घ॥ सरिता देश विशाल, तहां बैताड़ सु जानिये। ता ऊपर सुविशाल, श्री जिन मंदिर पूजिये॥१८॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी सरिता देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥८॥ अर्थ // वप्रा देश अनूप सो है विजयारध तहां। श्री जिनवर पद भूप, पूजत मन वच कायसे॥१९॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी वप्रा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥९॥ अर्घ॥ नाम सुवप्रा देश, तहां विजयारध गिर महा। पूजत हैं धरनेश, श्री जिनवर पद हरषसों॥२०॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके पश्चिम विदेह सम्बन्धी सुवप्रा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१०॥ अर्घ //