________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ~~~~~ ~~~~~~~~~~~=== अथाष्टकं-सुन्दरी छन्द सुर नदी जल शीतल लायके जिन सू पूजत मन हर्षायके। गिर वक्षारतने जिनधामजू, पूरव दिश पूजो अभिराम जू॥ ___ॐ ह्रीं सुदर्शनमेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी पश्चात् // 1 // चित्रकूट // 2 // पद्मकूट // 3 // नलीन // 4 // त्रिकूट // 5 // प्राच्य // 6 // वैश्रवण // 7 // अंजन न वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिन मंदिरेभ्यो जलम्। अगर केशर चंदन गारकै, जिन सुपूजत चरण निहारकै। गिर वक्षार. // 3 // ॐ ह्रीं. // चन्दनम्। सरस अक्षत सुन्दर धोयके, देत पुंज सुगन्ध समोयकै। गिर वक्षार. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतम्॥ लेत फूल अनेक सुहावने, कल्पवृक्ष तने मन भावने। गिर वक्षार. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पम्॥ तुरत वह पकवान बनायक, जिन सु पूजत प्रीति लगायकै। गिर वक्षार. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यम्॥ दीप जगमग जोति जगायकै,कनक थाल विषै धर लायकै। गिर वक्षार. // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपम्॥ धूप दशविध खेवत लायके,जिन सु पूजत मनवच कायकै। गिर वक्षार. // 8 // ॐ ह्रीं. // धूपम्॥ फल मनोहर नैन सुहावने, जिन चढाय परमपद पावने। गिर वक्षार. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलम्। द्रव्य वसुविधि सुन्दर लायके, अरघ देत गुलाल बनायके। गिर वक्षार. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घम्॥