________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [35 ParaSNNNNNNNNNNNNNNNN अथाशीर्वादः -- कुसुमलता मध्यलोक जिन भवन अकीर्तम, ताको पाठ पढे मन लाय। जाके पुन्यतनी अति महिमा, वरणनको कर सकै बनाय॥ ताके पुत्र पौत्र अरू सम्पति, बालै अधिक सरस सुखदाय। यह सब जस परभव सुखदाई, सुरनर पद ले शिवपुर जाय॥ इत्याशीर्वादः इति सुदर्शनमेरु सम्बन्धी जम्बूसालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा सम्पूर्णम्। अथ सुदर्शनमेरुके पूर्वविवेह सम्बन्धी वक्षार गिरपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 5 अथ स्थापना - (मद अवलिप्तकपोल छन्द) मेरु सुदर्शन पूरव दिश वक्षार कूटवर, कहे आठ जिनभवन तासपर सरस सु सुन्दर। तिनको सुर खग जजै हरष धर जिन गुण गावत, हम पूजत इह ठाम, थाप निज भाव बढ़ावत॥१॥ ॐ ह्रीं सुदर्शनमेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी आठ वक्षार गिरपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं। अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्। स्थापनम्।