________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [33 घृत श्रेतांकर मिश्रित जानिये, परम सुन्दर नेवज आनिये। __जम्बूसाल. // 7 // ॐ ह्रीं. / नैवेद्यं // दीपजगजग जोति सुधारनै, मोह तिमिर विनाशन कारनै। जम्बूसाल. // 8 // ॐ ह्रीं. // दीपं॥ अगर चंदन धूप सुलायके, जिनसु सन्मुख खेवत जायके। ___ जम्बूसाल. // 9 // ॐ ह्रीं. ॥धूपं॥ लौंगआदि सुफल सबलाइये,फलसों पूजत शिवफल पाइये। जम्बूसाल. // 10 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल फलादिक वसुविध जानिये,अरघ दे उर आनंद मानिये। जम्बूसाल. // 11 // ॐ ह्रीं. // अर्घ। अथ प्रत्येकार्घ - दोहा जंबूवृक्ष सुहावनो, पूरव शाखा जान। सिद्धकूट मंदिर जजों, अरघ लिये कर आन॥१२॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके उत्तर दिश ईशान कौन सम्बन्धी जम्बूवृक्षकी पूर्व शाखापर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥ अघु // शालमली द्रुम पूर्व दिशा शाखा, बनी विशाल। सिद्ध कूट जिनभवन नमि अर्घ जजों भर थाल॥१३॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके दक्षिण नैऋत्यकौन सम्बन्धी सालमली वृक्षकी पूर्वशाखापर संस्थित सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥ अर्धं // अथ जयमाला दोहा-जम्बू सालमली तनी, पूजो भई विशाल। तिन जिन मंदिरकी कहूँ, अब सुनिये जयमाल॥१४॥