________________ 32] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान अथ सुदर्शनमेरुके उत्तर ईशान कौन जम्बूवृक्ष और दक्षिण नैऋत्य कौन सालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 4 दोहा-मेरु सुदर्शन ते गिनो, उत्तर कौन इशान। दक्षिण नैऋत कौन है, भूप वृक्ष परमान॥१॥ जम्बू सालमली कहें, तिनपर श्री जिनधाम। आह्वानन तिनको करो, मनवचतन सु प्रनाम॥२॥ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके उत्तर ईशानकौन जम्बूवृक्षपर दक्षिण नैऋत्यकौन सालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं अत्र मम सन्निहितो भवर वषट् सन्निधिकरणम् स्थापन। अथाष्टकं--सुन्दरी छंद जल सुपावन उज्जल लीजिये, धार श्रीजिन सन्मुख दीजिये। जम्बू सालमली मन भावने, जिनभवन तरु सीस सुहावनो॥ ____ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुके उत्तर ईशान कौन जम्बूवृक्ष // 1 // दक्षिण नैऋत्य कौन सालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिन मंदिरेभ्यो॥२॥ जलं॥ दक्षिण नैऋत्य कौन सालमली वृक्षपर। अगरचंदन केसर गारकै, पूजिये जिन चरण निहारकै। जम्बूसाल. // 4 // ॐ ह्रीं. // चंदनं। सरस उज्जल अक्षत लाइये, पुज दे जिनचरण चढ़ाईये। ___ जम्बूसाल. // 5 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ लै सुफूल मनोहर पूजिये, जोडकर जिन सन्मुख हूजिये। जम्बूसाल. // 6 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं॥