________________ 246] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ធផលផផផផផផផផផផផផផផផ្ទះ ताके पुत्र पौत्र अरु संपति, बाढै अधिक सरस सुखदाय। यह भव जस पर भव सुखदाई,सुरनर पद ले शिवपुर जाय॥ इति आशीर्वादः इति श्री विद्युन्माली मेरुके जंबू शाल्मली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा सम्पूर्णम्। अथ विद्युन्माली मेरुके पूरव विदेह संबंधी आठ वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 47 अथ स्थापना-कुसुमलता छन्द विद्युन्माली मेरु पंचमो, ताकी पूरव दिशा बताय। गिरि वक्षार आठ सुखकारी, कंचन वरन कहे जिनराय॥ तिनपर रत्नमई जिनमंदिर, बने परम सुन्दर सुखदाय। जिनकी आह्वानन विध करके, हम पूजत हैं मंगल गाय॥ ___ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पूरवविदेह संबंधी वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं स्थापनं। अथाष्टकं-जोगीरासा छन्द क्षीरोदधि सम उज्वल जल ले, रत्न सु झारी भरिये। धार देत श्री जिनवर आगै, जन्म जरा दुख हरिये॥