________________ 236] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ========== == ===== विद्युन्माली मेरुके, पश्चिम दिश जिन धाम। वन सौमनस विषै कहो, अर्घ जजों तज काम // 21 // ____ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके सौमनस वन संबंधी पश्चिम दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥११॥ अर्घ // उत्तर वन सौमनसमें, जिनमंदिर सुखकार। विद्युन्माली मेरु ढिग, पूजो अर्घ संवार // 22 // ___ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके सौमनस वन संबंधी उत्तर दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१२॥ अर्घ॥ सुन्दरी छन्द मेरू विद्युन्माली जानिये, पूर्व पांडुक वन उर आनिये। जिनभवन द्युति परम विशाल जू, अर्घ ले पूजत भरथाल जू॥ ___ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पांडुकवन संबंधी पूरव दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१३॥ अर्घ॥ मेरु विद्युन्माली द्युति घनी, दिश सु दक्षिण पांडुकवन तनी। सरस जिनमंदिर तहां सोहनो, अर्घ ले पूजत मनमोहनो॥ ___ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पांडुकवन संबंधी दक्षिण दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१४॥ अर्घ // मेरु विद्युन्माली मन हरै, वन सु पांडुक दिश पश्चिम धरै। पूजिये जिनभवन निहारके, अरघ ले सुन्दर वन धारके // ___ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पांडुकवन संबंधी पश्चिम दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१५॥ अर्घ॥ मेरु विद्युन्माली सोहनो, वन सु पांडुक उत्तरदिश बनो। सरस जिनमंदिर सु रिशाल जू, अर्घ ले पूजत भरथाल जू॥ ___ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके पांडुकवन संबंधी उत्तर दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१६॥ अर्घ॥