________________ ___श्री तेरहद्वीप पूजा विधान vuruOSKYRIRAJArruryryRPUFYRIRURRIN पद्धडी छन्द मंदिरगिर उत्तर दिश सुआन, तहां नील नाम कुलगिर वखान। तापर जिनमंदिर हैं विचित्र, भवि अर्घ जजो वसुविध पवित्र॥ ____ॐ ह्रीं मंदिरमेरुके उत्तर दिश नील पर्वतपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥४॥ अर्घ // अडिल्ल. मंदिर गिरकी उत्तर दिश उर आनिये। कनक रतन कर जडीत सु परम प्रमानिये॥ रुक्म नाम गिरपर जिनमंदिर सोहनो। पूजत अर्घ चढ़ाय भविक मन मोहनो॥१५॥ ॐ ह्रीं मंदिरमेरुके उत्तर दिश रूक्म पर्वतपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥५॥ अर्घ ___ चाल-नंदीश्वरके अष्टककी मंदिरगिर उत्तर ओर, कुलगिर है भाई। गिर शिखरन् नाम सु जोर, देखत सुख पाई॥ तापर जिनमंदिर जाय, पूजत सुर खग हैं। हम वसुविध अर्घ चढ़ाय, ध्यावत जिनपग हैं // 16 // ____ॐ ह्रीं मंदिरमेरुके उत्तरदिश शिखरिनगिर नाम पर्वतपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥६॥ अर्घ // वन भद्रशाल सु मेरु मंदिर, नदी सीता तट मही। द्रह पांच पांच कहे दौऊ दिश, मेरु दश दश बन रही। कंचन सुगिर तसु नाम जानो, एक इक प्रतिमा जहां। सब एकसत जिन प्रति जहां, हम अरघ धर करमैं तहां। ॐ ह्रीं मंदिरमेरुके भद्रशाल वन सम्बन्धी सीता नदीके दोना तट पांच पांच कुण्ड तिनके समीप दश दश कंचनगिरि तिसार एक