________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [161 मलयागिर करपूर सु चन्दन, केसर रंग सु नीको। भव आताप सु दूर करनको, पूजत जिनवरजीको॥ अचलमेरु. // 3 // ॐ ह्रीं. // चंदनं॥ देवजीर सुखदास सु अक्षत, सुन्दर धोय सु लीजै। मन वच काय लाय जिन चरणन, पुज मनोहर दीजै॥ ___ अचलमेरु. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं // नाना विधके फूल मनोहर, सुरतरु समके लावो। पूजो श्री जिनराज प्रभुको, हरष हरष गुण गाओ। ___ अचलमेरु. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं॥ बहु विधके पकवान मनोहर, सुवरन थारी भरिये। क्षुधा रोगके नाश करनको, प्रभु सन्मुख ले धरिये॥ अचलमेरु. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं / / जगमग जगमग होत दिवाली, दीप अमोलिक लावो। मोह तिमिरके नाश करनको, श्री जिनचरण चढ़ावो॥ अचलमेरु. // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपं // दश विध धूप सुगंधित लेकर, पूजो भविजन भाई। कर्म महारिपु दूर करनको, खेवत जिन ढिग आई। अचलमेरु. // 8 // ॐ ह्रीं. // धूपं॥ लौंग लायची पिस्ता नीके, किसमिस दाख मंगावो। फलसे पूजो श्री जिनवर पद, यातें शिव-फल पावो॥ अचलमेरु. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ जल फल अर्घ बनाय, गाय गुण, श्रीजिनचरण चढ़ावो। भाव भगतसौ पूज जिनेश्वर, लाल सदा बल जावो॥ अचलमेरु. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ॥