________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [135 NNNNNNNNNNNNNNNNNNN मुक्ताफल सम उज्वल अक्षत, निर्मल धोय सु लीजो। श्री जिनवरके सन्मुख होकर, पुंज मनोहर दीजो॥ जंबू शालमली.॥४॥ ॐ ह्रीं॥ अक्षतं॥ कमल केतकी बेल चमेली फूल मनोहर लावो। श्री जिन चरण चढ़ावो भविजन, परम महासुख पावो॥ जंबू शालमली. // 5 // ॐ ह्रीं॥ पुष्पं // घेवर बावर मोदक खाजे, ताजे तुरत बनावो। क्षुधा रोगके नाशन कारण, श्री जिन चरण चढ़ावो॥ जंबू शालमली.॥६॥ ॐ ह्रीं॥ नैवेद्यं॥ मणीमई दीप अमोलिक लेकर, जगमग ज्योति जगाओ। मोह अन्धके नाशन कारण, पूजन जिनवर आवो॥ जंबू शालमली. // 7 // ॐ ह्रीं॥ दीपं॥ दश विध धूप सुगंधित लेकर श्री जिन सन्मुख खेवो। अष्ट कर्मके नाशन कारण, जिन चरणनको सेवो॥ जंबू शालमली.॥८॥ ॐ ह्रीं॥ धूपं॥ दाख छुहारा पिस्ता किसमिश लौंग लायची लाई। पूजत श्री जिन चरण मनोहर परमातम पद पाई॥ जंबू शालमली.॥९॥ ॐ ह्रीं // फलं॥ जल फल अर्घ बनाय गाय गुण, श्री जिनचरण चढ़ावो। परमानन्द अखण्ड अनूपम ऐसी पदवी पावो॥ जंबू शालमली.॥१०॥ ॐ ह्रीं // अर्घ //