________________ 134] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान នននននននននននននននននន अथ अचलमेरुके ईशानदिश जंबूवृक्षपर नैऋत्यदिश शालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 24 अथ स्थापना - अडिल्ल छन्द अचलमेरु के उत्तर कोन ईशान जू। अर दक्षिण नैऋत्य कोन धर ध्यान जू॥ जम्बू शालमली दोउ वृक्ष सुहावने / आह्वानन विध करै, भवन जिनवर तने॥१॥ ॐ ह्रीं अचलमेरुके उत्तर ईशानकोन जम्बूवृक्ष अरु दक्षिण नैऋत्य कोन शालमली वृक्षपर सिद्धकट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं स्थापनं। अथाष्टकं चाल - जोगीरासा सरस मनोहर उज्वल जल, ले क्षीरोदधि सम लावो। जन्म जरा दुखनाशन कारण, श्री जिनचरण चढावो॥ जंबू शालमली शाखा पर, श्री जिनमंदिर सोहै। हम पूजत धर ध्यान जिनेश्वर, सुर नरके मन मोहै॥२॥ ___ॐ ह्रीं अचलमेरुके उत्तर ईशानकोन जंबूवृक्ष // 1 // दक्षिण नैऋत्य कोन शालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥२॥ जलं // चन्दन अर करपूर मिलाकर, केसर जलसों गारो। श्री जिनचरण चढ़ावत भविजन, भव आताप निवारो॥ जंबू शालमली. // 3 // ॐ ह्रीं // चंदनं / /