________________ सबसे सूक्ष्म होती हैं / इसका कारण पुद्गल के तथामिलन का तथास्वभाव है / इन वर्गणाओं के कार्य इस प्रकार है, 8 वर्गणाओं के कार्य : (1) एकेन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तिर्यंच तक के जीवो के और मनुष्यों के शरीर औदारिक वर्गणा से बनते हैं / (2) देव और नारकों के शरीर वैक्रिय वर्गणा से बनते हैं - | (3) लब्धि (विशिष्ट शक्ति) के बल पर चौदह 'पूर्व' नाम के सागर सदृश विशाल शास्त्रों के जानकार 'चौद पूर्वधर- चौदपूर्वी महामुनि किसी प्रसंग पर अपनी शंका के समाधान के लिए अथवा विचरण करते हुए (विहरमान) तीर्थंकर प्रभु की समवसरणादि समृद्धि के दर्शनार्थ, जो सूक्ष्म आहारक-वर्गणाओं में से एक हाथ का शरीर बनाकर केवलज्ञानी के प्रति छोड़ते हैं उसे आहारक शरीर कहते हैं / ' (4) अनादि काल से जीव के साथ कर्म-समूह (कार्मणशरीर) के समान एक अन्य शरीर भी लिप्त संलग्न रहता है; यह है तैजस शरीर / वह तैजस-वर्गणा द्वारा निर्मित होता है / इसमें से कुछ तैजस पुद्गल के स्कन्ध बिखरते है, कुछ नए तैजस पुद्गल के स्कंध इसमें भरते हैं, एकत्रित होते हैं, किन्तु अमुक प्रमाण में तो समूह कायम जीव के साथ जुडा हुआ यानी संलग्न रहता है / इस तैजस शरीर के कारण देह में उष्णता रहती है, और इसीसे जीव जिस 850