________________ कर ले, इसमें कोई शंका नहीं है / ___अपने अनंत ज्ञानादि का मूल स्वरूप एक बार जब पूर्णतः प्रगट हो जाए, तब किसी भी आश्रव के न रहने से कभी भी उसे तनीक भी कर्म लगते नहीं, यानी कर्म-संबन्ध नहीं होता है, और जन्म-मरणरूप संसार कभी भी उसे छूता नहीं है, व मोक्ष शाश्वत कालीन बना रहता है | जीव-सूर्य पर 8 कर्म बादलः जीव के 8 गुण | 8 कर्म-बादल | कर्म बादल से विकृति (1) अनंत ज्ञान | ज्ञानावरण अज्ञान (2) अनंत दर्शन | दर्शनावरण | अंधता, बधिरता, निद्रा आदि (3) वीतरागता / मोहनीय मिथ्यात्व, राग-द्वेष, क्रोधादि| कषाय,काम, हास्यादि नोकषाय. (4) अनंत वीर्यादि | अन्तराय कृपणता, पराधीनता, दरिद्रता, दुर्बलता शाता-अशाता (5) अनंत सुख | वेदनीय (6) अजरामरता | आयुष्य जन्म-मृत्यु 2 818