________________ प्राण जीवनशक्ति : जीव में प्राण-शक्ति दस प्रकार की हैं-५ इन्द्रियाँ, 3 योग, (मनोयोग, वचनयोग, काययोग), 1 श्वासोच्छवास, 1 आयुष्य, -इस प्रकार कुल दस प्राण हैं / परंतु प्रत्येक जीव को दस प्राण नहीं होते, जैसे कि एकेन्द्रिय जीव को केवल चार प्राण होते हैं - 1. स्पर्शन इन्द्रिय 2. उच्छ्वास 3. काययोग 4. आयुष्य द्वीन्द्रिय को छ: प्राण होते है, उपर के चार उपरान्त१ रसना इन्द्रिय और 1 वचनयोग | त्रीन्द्रिय को उन छ:के अलावा घ्राणेन्द्रिय बढ़ जाने से सात; चतुरिन्द्रिय जीव को चक्षु-इन्द्रिय की वृद्धि से आठ प्राण होते हैं / पंचेन्द्रिय जीव को श्रोत्रेन्द्रिय बढने से नौ, और मन बढ़ने से दस प्राण होते हैं / मन रहित पंचेन्द्रिय जीव असंज्ञी पंचेन्द्रिय कहलाते हैं, मन सहित पंचेन्द्रिय-संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव है / ___ पंचेन्द्रिय जीवों में जिनको मन न हो उन्हें असंज्ञी कहते हैं, जिनको मन हो उसे संज्ञी कहते है / इस प्रकार संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव को दस प्राण होते हैं / 'संज्ञी' अर्थात् संज्ञावाला / 'संज्ञा' अर्थात् पहले और बाद के कार्य- कारणों पर विचार करने की शक्तिवाला मन / देव और नारक मनःपर्याप्ति प्राप्त होने पर संज्ञी जीव बनते हैं, 2 720