________________ है वें एक ही अपेक्षा से विरूद्ध होते हुए ही स्थान में नहीं रह सकते / किन्तु भिन्न-भिन्न अपेक्षा से एक ही स्थान में साथ रह सकते है / अतः विरूद्ध नहीं है / दृष्टान्त रूप में पितृत्व और पुत्रत्व वैसे परस्पर विरुद्ध है / पिता, यह पुत्र नहीं / पुत्र यह पिता नहीं, पितृत्व और पुत्रत्व और पुत्रत्व एक ही व्यक्ति की अपेक्षा से एक व्यक्ति में एक साथ रहने का संभव नहीं है / किन्तु भिन्न भिन्न व्यक्ति की अपेक्षा से ये दोनों धर्म एक हीं में साथ रह सकते है / ___राम अकेले दशरथ की अपेक्षा से पुत्र व पिता दोनों रूप में नहीं थे / किन्तु दशरथ की अपेक्षा से पुत्र तो थे ही न? एवं लवकुश की अपेक्षा से पिता भी थे न? इस प्रकार राम में पितृत्व और पुत्रत्व दोनों साथ साथ थे / इसी तरह स्वर्ण; मूल स्वर्णद्रव्य की दृष्टि से नित्य (कायम) हैं, किन्तु कड़ेपन, कंठीपन आदि की अपेक्षा से स्थिर नहीं, अनित्य है इस प्रकार स्वर्ण में नित्यत्व और अनित्यत्व दोनों है / वस्तु में अमुक अमुक अपेक्षाओं से ही वैसे वैसे धर्म रहते है; अत एव उन धर्मो का दर्शन एवं प्रतिपादन उन उन अपेक्षाओं के आधार पर ही सच्चा हो सकता है; किन्तु उससे अतिरिक्त ही गलत अपेक्षा से नहीं / अन्य अपेक्षा से तो अन्य धर्म का अस्तिव कहना पड़ेगा / 2 33488