________________ नहीं, किन्तु सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष है / मतिज्ञान और श्रुतज्ञान में प्रत्यक्ष अनुमान, उपमान, आगम, अर्थापत्ति आदि प्रमाणों का समावेश होता है / वादियों की सभा में मुख्यतः प्रत्यक्ष और अनुमान इन दो प्रमाणों का आश्रय लिया जाता है / अनुमान प्रमाण :- अनुमान में एक प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होने वाली या सुनी हुयी वस्तु अर्थात् हेतु के आधार पर इसके साथ अवश्यमेव बद्ध दूसरी वस्तु के अस्तित्व का निर्णय किया जाता है / जैसेकि दूर से ध्वजा या शिखर देखकर मन्दिर का निर्णय किया जाता है | यह अनुमान है / ध्वजा और शिखर के साथ मन्दिर का अविनाभावी अर्थात्-अवश्यंभावी संबंध है / अनुमान में पंचावयव वाक्य होते है :प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण, उपनय, व निगमन / ये पांच-अवयव वाक्य है (1) वाद का प्रारंभ होने पर जिस वाक्य से पहली स्थापना की है' / (2) उसको सिद्ध करने के लिए हेतु दिया जाता है / जैसे कि 'क्यों कि वहां धुआं दिखायी देता है' / उसे हेतु-वाक्य' कहते हैं / तत्पश्चात् (3) व्याप्ति और उदाहरण बताएं जाते हैं / जैसेकि 'जहां जहां धुआं होता है वहाँ अग्नि अवश्य होती है / यह व्याप्तिवाक्य है / जैसे रसोई घर में' | यह उदाहरण वाक्य है / व्याप्ति अर्थात् (1) अविनाभाव (2) अन्यथानुपपन्नत्व / जैसेकि * 320