________________ (6) हेतु को देखकर कल्पना का होना यह 'अनुमान' है; जैसे कि नदी में बाढ देखकर ज्ञान होता है कि 'उपर में वर्षा हुई होगी' | 7) 'दिखायी देनेवाली अथवा सुनी जानेवाली वस्तु अमुक स्थिति के अभाव में नहीं घट सकती' अतः उस अमुक की कल्पना होती है यह 'अर्थीपत्ति' है, जैसे कि एक व्यक्ति सशक्त है 'वह दिन में भोजन नहीं करता ऐसा जानकर बाद में इससे फलित होता है कि' 'वह अवश्य रात को खाता होगा / ' यह 'अर्थीपत्ति मतिज्ञान' है / (2) श्रुतज्ञान : श्रुतज्ञान; यह उपदेश सुनकर या लिखित पढ़कर होता है / अमुक शब्द सुना, वह तो श्रोत्र से शब्द का मतिज्ञान हुआ / यह ज्ञान तो भाषा से अनभिज्ञ को भी होता है, किन्तु शब्द श्रवण के बाद उससे भाषा के ज्ञाता को जो पदार्थ का बोध होता है, कथित वस्तु समझ में आती है, इसे 'श्रुतज्ञान' कहते हैं / यह ज्ञान शास्त्र से किसी के उपदेश से अथवा सलाह या शिक्षा से होता है / जहां उपदेश या आगम आदि का अनुसरण करते हुए ज्ञान होता है, वहाँ वह श्रुतज्ञान है / ___ श्रुतज्ञान के 14 भेद :- (1) 'अक्षरश्रुत' :- अक्षर से बोध / (2) अनक्षर श्रुत :- खों खों की चेष्टा अथवा मस्तक ऊँगली आदि की चेष्टा इत्यादि से होनेवाला बोध / (3) 'संज्ञिश्रुत' :- मनसंज्ञा वाले का बोध / (4) 'असंज्ञिश्रुत' :- ऐकेन्द्रिय आदि जीव को 23120