________________ आदि तप शुरू कर दिया / भक्ति व तप के अचिन्त्य प्रभाव से द्वैपायन 12 साल तक द्वारिका के उपर ऊँचे ऊँचे आसमान में चक्कर काटता रहा, किन्तु तप धर्म का तेजपुंज उसे निष्प्रभाव करके नीचे उतरते रोक रहा था / अतः वह द्वारिका को प्रज्वलित न कर सका / '12 साल के बाद अब तो देव भूल गया होगा' ऐसे भ्रम में पडकर लोगों ने जब तप छोड़ दिया, तब देवता ने द्वारिका जला दी / तप से आत्मा में कई प्रकार की लब्धियां उत्पन्न होती है / सनत्कुमार चक्रवर्ती को सहसा 16 रोग उत्पन्न हो गए / व्याधियों का विनाश करने के लिए उन्होंने द्रव्य-औषधि का सहारा न लेते हुए, अनंत कल्याणकर चारित्रमार्ग स्वीकार कर तपरूप भाव-औषधि का सहारा ले लिया / परिणाम यह आया कि सेवा करने आए हुए देवता को अपनी कोढरोग से व्याप्त ऊँगली पर अपना ही थूक लगाकर कंचनवर्णी-सी कर दिखाई / व कहा "आप क्या मेरी व्याधियों को मिटाओगे ! मैं स्वयं ही उन्हें इस प्रकार मिटाने में समर्थ हूँ, किन्तु व्याधि तो मेरे मित्र है, जहाँ तक रोग शरीर में व्याप्त है वहाँ तक मेरे कर्मों का निकाल होता ही रहता है / मेरे शत्रुभूत पूर्वसंचित पापकर्मो का उन्मूलन करने मे व्याधि सहायक है, वास्ते उनको क्यों हटाऊँ?" चक्रवर्ती की सुकोमल काया से उन्होंने 700 वर्ष तक तप कर के व्याधि के कर्मों का विध्वंस कर दिया / 2 243