________________ के एकासन', 'पंच कल्याणक तप' आदि की आराधना की जाती 2. रात्रि के पच्चक्खाण में : दिन में छूटे हो तो रात्रि के लिए चउविहार, तिविहार आदि किए जाते हैं / 'चउविहार' अर्थात् सूर्यास्त से पहले से लेकर रात भर के लिए चारों आहारों का त्याग / 'तिविहार' अर्थात् पानी के अतिरिक्त तीनों आहार का त्याग / 'दुविहार' में अशन, खादिम इन दो आहार का त्याग / बेआसन आदि तप में तो सूर्यास्त से पूर्व 'पाणहार' का पच्चक्खाण लिया जाता है / दिन में जिसकी छूट है ऐसा पानी भी बंद किया जाता है / पानी भी अब नहीं लिया जाता है / 14 नियम : (अर्थात् पल में पाप के उस पार) प्रतिदिन के जीवन में संसार के समस्त पदार्थो का उपयोग नहीं किया जाता है / फिर भी यदि उपयुक्त न होने वाले पदार्थो का प्रतिज्ञाबद्ध त्याग न किया हो, अर्थात् विरति नहीं, अविरति हो, तो इनके विषय में जीव को पाप बंधन जारी रहता है / अतः उपयोग में आने वाली संभवित वस्तुओं को छोडकर शेष वस्तुओं के त्याग का नियम किया हुआ हो तो हम ढेर कर्म बन्धन से बच जाते हैं / 20 21302