________________ 'जैसे नये राजा को गादीनशीन करने के लिए मुख्यमंत्री आदि उसको चौकी पर बिठाकर उसके शिर पर अभिषेक करते है / ' अभिषेक समय रोजाना ऐसी भावना से अभिषेक करने से अपने शिर पर जिनाज्ञा का भार आता है / अभिषेकादि धर्म की आराधना के सस्कार पडते है / पर भी शीतलता देता है, जलाने पर भी सुवास देता है, वैसे हे वीतराग ! इस चन्दन-पूजा से आप भी मुझे क्षमादि की शीतलता व दर्शन-ज्ञान-चारित्र की सुवास दें / ' (3) पुष्पपूजा :- इसमें- 'हे प्रभु ! इस पुष्पपूजा से आप मुझे, जैसे पुष्प के कण में सौंदर्य व सुगंधी है, वैसे इस पुष्पपूजा से हमारी आत्मा के अंश अंश में सुकृतो का सौंदर्य व सद् गुणो की सुवास दें' यह भावना करनी है / (4) धूपपूजा :- इसमें भावना-"हे अरिहंत देव ! जैसे धूप ऊँचे ही जाता है, वैसे मेरी भी उर्ध्वगति हो / धूप से दुर्गंध दूर होती है वैसे धूपपूजा के द्वारा मेरी आत्मा में से मिथ्यात्वादि की भी दुर्गंध दूर हो / " (5) दीपपूजा :- इसमें भावना-"हे प्रभु ! इस दीपक पूजा से मेरा अज्ञान व मोह का अंधकार नष्ट हो, एवं मुझे केवलज्ञान तक निर्मलज्ञान का प्रकाश दें / " 0 190