________________ कर्म के क्षय से उत्पन्न परिणाम / जैसे की क्षायिक सम्यक्त्व, केवलज्ञान, सिद्धत्व आदि, ये क्षायिक भाव है / 'मोक्ष' शब्द यह शुद्ध (एक, असमस्त) शब्द है, तथा व्युत्पत्तिसिद्ध पद है, अतः इसका वाच्य मोक्ष पदार्थ सत् है, विद्यमान है काल्पनिक नहीं है। 62 मार्गणा द्वार ___ मार्गणा = शोधन करने का मुद्रा-विषय (POINTS) | मार्गणा 14 मार्गणा-द्वारों से होती है / इन के अवान्तर भेद 62 है | 14 मार्गणा ये हैं - (1) गति 4, (2) इन्द्रिय 5, (3) काय 6. (4) योग, - मनोयोगादि 3, (5) वेद 3, (पुरुष-वेद, स्त्री-वेद नपुंसक-वेद, (6) कषाय 4, (7) 5 ज्ञान + 3 अज्ञान = 8, (8) संयम 7, (9) दर्शन 4, (10) लेश्या 6, (11) भव्यत्व-अभव्यत्व 2, (12) सम्यक्त्व 6, (13) संज्ञीअसंज्ञी 2, (14) आहारक-अनाहारक 2, (इनमें 7 संयम = कौन? ये, - सामायिक आदि 5 + देशविरति एवं 7 अविरति सम्यकत्व = कौन? ये, - क्षायिक, क्षायोपशमिक, ओपशमिक, मिश्रमोहनीय, सास्वादन और मिथ्यात्व) इस प्रकार कुल 62 मार्गणा है। ___ अब हम प्रत्येक मार्गणा में मोक्ष की सत्पद प्ररूपणा, द्रव्य-प्रमाण आदि से विचार करें / इनमें से मनुष्यगति, पंचेन्द्रियजाति, त्रसकाय, भव्यत्व, संज्ञी, SA 1558