________________ व कुछ अनुभव कर सकता है / सर्व संग के त्यागी महर्षि को मोक्षसुख की वानगी का आस्वाद आ सकता है / प्र०- मोक्ष जैसी चीज है इनमें कोई प्रमाण हैं? उ०- हां, (i) 'मोक्ष' शब्द एक शुद्ध (असामासिक) एवं व्युत्पत्तियुक्त पद है वास्ते वह किसी न किसी वाच्य सत् पदार्थ का वाचक है, जैसे 'जीव' शब्द, 'घर' शब्द इत्यादि / एवं (ii) जीव को अगर बन्धनयुक्त होने से संसार है, तब बन्धनमुक्त होने से मोक्ष भी होना ही चाहिए / (iii) मोक्ष का निषेध हो सकता है, जैसे कि हमारा मोक्ष नहीं हुआ है; वास्ते मोक्ष सत् पदार्थ है / जगत में सत् पदार्थ का ही निषेध हो सकता है सर्वथा असत् का नहीं / उदाहरणार्थ, आकाशकुसुम सर्वथा असत् पदार्थ है वास्ते इसका निषेध नहीं हो सकता है कि 'इस स्थान में आकाशकुसुम नहीं है / ' ध्यान में रहे, मानव भव में से ही मोक्ष होता है; चूंकि मोक्ष में कारणभूत सर्वोत्कृष्ट यथाख्यात चारित्र व केवलज्ञान को मनुष्य ही पा सकता है। संसार में से छ: मास में कम से कम एक जीव सिद्ध बनता है। यहां से जितने सिद्ध होते हैं, उतने जीव अनादि निगोद से बाहर आते है / आज तक सर्व अभव्य से अनंतगुण जीव सिद्ध हुए हैं व एक निगोद के सर्व जीव से अनंत भागे सिद्ध हुए हैं। ___मुक्त हुए जीव को पुनः कभी भी कर्म का संयोग प्राप्त नहीं होता / फलतः अब (1) अक्षय-अव्याबाघ-अनन्त सुख, (2) अनन्त Sa 1510