________________ हैं न? तो प्रश्न हैं वहां सुख ही कैसा? ___उ०-(१) मोक्ष में भावी मे भी दुःख नहीं, वास्ते मोक्ष का आकर्षण, (2) न्यूनता-दर्शन का मी दुःख नहीं वास्ते आकर्षण, एवं (3) वहां अनंत सुख इसलिए आकर्षण / स्वर्ग में ये तीनों बात नहीं है, अतः मुमुक्षु को स्वर्गका आकर्षण नहीं होता / प्रo-मोक्ष में सुख क्या? उ०-(१) मातापिता को शत्रुवत् त्रास देने वाला लडका परदेश चला जाए तो मातापिता को कितना आनंद होता है? (2) वैसे भयंकर एक व्याधि भी मिटने पर कितना आनंद? (3) रोजाना हन्टर से मार खाने वाले आजीवन कैदी को मुक्ति मिलने पर कितना आनन्द होता है? (4) एक भी अत्यन्त इष्ट मिलने पर कितना आनन्द ! तब मोक्ष में जहां सर्व शत्रुका नाश हो गया है, सब व्याधियों का अंत हो गया है, समस्त त्रास समूल मिट गये है, सर्व इष्ट सिद्ध हुए है ऐसे मोक्ष में सुख आनंद का क्या पूछना? प्र०- मोक्ष में अच्छे खानपान-संपत्ति-सत्ता आदि कुछ भी तो है नहीं, तब सुखानुभव कैसे? ___उ०- खानपान आदि सब में सांयोगिक सुख का यानी सापेक्ष सुख का अनुभव है। एसे सुख के अनुभव में विषयसंयोग की अपेक्षा रहती है। मोक्ष में असांयोगिक सुख है, निरपेक्ष सुख है; अर्थात् 1498