________________ (2) ऊनोदरिका, - तपकी बुद्धि से भोजन के समय दोचार ग्रास कम खाना / इस प्रकार का इतना भी त्याग अगर तप समझ कर किया जाए, तो यह तप है / (3) वृत्तिसंक्षेप, - भोजन में खाये जाने वाले द्रव्यों (पदार्थों) का संकोच करना, यानी यह निश्चय कि -'इतने पदार्थ से अधिक, जैसे कि 15 से अधिक, पदार्थ या अमुक अमुक पदार्थ नही खाऊँगा, यह द्रव्यसंक्षेप है / ___ (4) रसत्याग, - खानपान के पदार्थो में रस अथवा स्वाद की तृष्णा कम करने के लिए दूध, दही आदि शक्य विगईओं का त्याग करना / (5) कायक्लेश, - केशलोच, उग्रविहार, क्षुधावेदनीयादि 22 परीषह, एवं विविध उपसर्ग आदि के कष्ट सहन करने / (उपसर्ग का अर्थ है देव, मनुष्य या तिर्यंच द्वारा किये जानेवाले उपद्रव / ) (6) संलीनता, - शरीर के गात्र-अवयवो, यानी, इन्द्रियों तथा मनकी असत् प्रवृत्तियो को रोकना और उन को नियंत्रित रखना यह संलीनता है / आभ्यंतर तप के 6 प्रकार हैं : प्रायश्चित्त, विनय, वैयावच्च, स्वाध्याय, ध्यान, और कायोत्सर्ग, - ये आभ्यन्तर तप है / 213888