________________ स्थिर मिलते है / अस्थिर-नामकर्म - अस्थिर अवयव देनेवाला कर्म | (6) शुभ नामकर्म - नाभि से पर के शुभ अवयव देनेवाला कर्म / अशुभ नामकर्म - नाभि से नीचे के अशुभ अवयव देनेवाला कर्म / (किसीके मस्तक के स्पर्श से व्यक्ति प्रसन्न होता है, परंतु पाद-स्पर्श से क्रुद्ध होता है / पत्नी के पाद-स्पर्श से पति जो प्रसन्न होता है वह मोह के कारण होता है / (7) सौभाग्य नामकर्म - इस के उदय से उपकार करने के बिना भी जीव सबको रुचिकर होता है / दौर्भाग्य - इसके उदय से उपकार करने पर भी लोगों में अरूचिकर होता है / यदि (तीर्थंकर देव अभव्य आदि जीवों को प्रीतिकर प्रतीत नहीं होते है / यह जीव के तीव्र मिथ्यात्व के उदय से) (8) सुस्वर नामकर्म - जिस कर्म के उदय से सुंदर मधुर स्वर मिले / दुःस्वर० इस से विपरीत / (9) आदेय नामकर्म - इसके उदय से युक्ति या आडम्बर से हीन वचन भी दूसरों को ग्राह्य होते हैं / एवं इसके कारण दूसरे लोग देखते ही आदर मान करते हैं / इससे विपरीत, अनादेय नामकर्म के उदय से जीव का युक्तियुक्त भी वचन दूसरों को ग्राह्य यानी आदेय नहीं होता है / (10) यश नामकर्म - जिसके उदय से जीव लोक में कीर्ति 1270