________________ 198 गुणस्थानक्रमारोहमूलगाथानामकारादिक्रमेण सूचिः पृष्ठ क्र. क्र. गाथा 125 श्रेण्यारूढः कृते काले // 41 // 126 स सर्वातिशयैर्युक्तः // 86 / / 127 स सूक्ष्मकाययोगेऽथ // 19 // 128 सप्तकोत्तरमोहस्य // 34 // 129 सप्तमं त्वप्रमत्तं चा- // 4 // 130 समयादावलीषट्कं // 12 // 131 समुच्छिन्ना क्रिया यत्र // 106 / / 132 समुद्धातान्निवृत्तोऽसौ // 95 / / 133 समुद्धातस्य तस्याद्ये // 92 / / 134 सम्यग्मिथ्यात्वयोर्मध्ये // 17|| 135 सवितर्क सविचारं // 60 // 136 स्वशुद्धात्मानुभूतात्म- // 62 / / 134 131 129 76 114 115 सर्वत्र निन्दासन्त्यागो, वर्णवादस्तु साधुषु / आपद्यदैन्यमत्यन्तं, तद्वत् सम्पदि नम्रता // उद्यमं साहसं धैर्य, बलं बुद्धिः पराक्रमः / षडेते यस्य विद्यन्ते, तस्य देवोऽपि शङ्कते // आरोग्यमानृण्यमविप्रवासः, सप्रत्यया वृत्तिरभीतिवासः / सद्भिर्मनुष्यैः सह सम्प्रयोगः, षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन् //