________________ परिशिष्टः 10 197 पृष्ठ क्र. 139 0 143 139 77 144 116 क्र. गाथा 104 मृल्लेपसङ्गनिर्मोक्षाद् // 122 / / 105 यः षण्मासाधिकायुष्को // 94|| 106 यत्सौख्यं चक्रिशक्रादि- // 133 / / 107 यथाऽधस्तिर्यगूर्ध्वं च // 124 / / 108 यथोक्तेषु च तत्त्वेषु // 18 // 109 यदाराध्यं च यत्साध्यं // 134 / / 110 यद्यपि प्रतिपात्येत- // 66 // 111 यद्व्यञ्जनार्थयोगेषु // 77 // 112 यावत्प्रमादसंयुक्त // 29 // 113 वपुषोऽत्रातिसूक्ष्मत्वा- // 108 / / 114 वर्णाः पञ्च रसाः पञ्च // 113 / / 115 विकल्पवागुराजाला- // 53 // 116 विशेषात्तीर्थकृत्कर्म // 85 // 117 विहायोगतियुग्मं च // 115 / / 118 वृत्तमोहोदयं प्राप्यो- // 44 // 119 वेद्यते तीर्थकृत्कर्म // 87 // 120 वेद्यमेकतरं चेति // 116 / / 121 शान्तदृग्वृत्तमोहत्वा- // 43 / / 122 शुद्धसम्यक्त्वचारित्रे // 131 // 123 शैलेशीकरणारम्भी // 102 / / 124 श्रुतचिन्ता वितर्कः स्यात् / / 61 / / WW 0 . 107 124 137 126 137 143 133 114