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________________ 392 , नैषधायचरित नये नीतिशास्त्र यत् नंपुणम् नैपुण्यम् ( स० तत्पु० ) तस्य ध्यये राहित्ये अभावे इति यावत् (10 तत्पु० ) मन: चित्तम् दधत्या न्यस्यन्त्या अर्थात् मनसि एतत् विचारयन्त्या यत् एतादृशम् अतिसुन्दरं पुरुषम् मां स्त्रियं प्रति निजदूतरूपेण प्रेषयतां देवानां कियन्नीतिशास्त्रनपुण्याभावोऽस्तीति विदग्धया निपुगया तया दमयन्त्या स्वगतम् स्वस्मिन् आत्मनि गतम् ( स० तत्पु० ) यथा स्यात्तथा स्वमनसीत्यर्थः ( 'सर्वश्राव्यं प्रकाशं स्यात् अश्राव्यं स्वगतं मतम्' इति दर्पणकारः) अभ्यधायि अभिहितम् // 22 // व्याकरण-क्षितिः . क्षियन्ति ( वसन्ति ) भूतान्यत्रति क्षि + तिन् ( अधिकरणे)। अधिस्त्रि सप्तम्यर्थ में अव्ययीभाव, ह्रस्व, नपुं० / दूतयताम् दूतं कुर्वन्तोति दूत + णिच् + शतृ + 10 ( नामधा० ) नैपुणम् निपुणस्य भाव इति निपुण + अण् / अभ्यधायि अभि + /धा + लङ् ( भावचाच्य ) / विदग्धया इसके लिए सर्ग-श्लो० 99 देखिए। अनुवाद-राजा ( नल ) के यह कहकर चुप हो जाने पर भूलोक के इस कामदेव को स्त्रियों के प्रति दूत बनाते हुए देवताओं की नीति-चातुरी का अभाव मन में रखे उस चतुर ( दमयन्ती) ने मन ही मन कहा // 22 // टिप्पणी-नीतिशास्त्र में कहा हुआ है-"नोज्ज्वलं रूपवन्तं च नार्थवन्तं न चातुरम् / दूतं वापि हि दूतीं वा नरः कुर्यात् कदाचन / " अर्थात् यदि स्त्रियों के पास अथवा पुरुषों के पास अपना दूत या दूती भेजना हो तो उन्हें सजा धजा, रूपवान्, चतुर और सम्पन्न नहीं होना चाहिए, अन्यथा स्त्री दूत पर ही और पुरुष दूती पर ही मुग्ध हो सकते हैं, दूत भेजने वाला अथवा दूती भेजने वालो दोनों देखते ही रह जाएंगे / दूत बनाकर नल को भेजने में देवताओं ने बड़ी गलती की है। विद्याधर ने यहाँ व्यतिरेक कहा है, क्योंकि नल में सौन्दर्याधिक्य बता रखा है। हमारे विचार से नल पर भू-स्मरत्व का आरोप होने से रूपक है। उसमें स्मर से अधिक सौन्दर्य नहीं बताया है। शब्दालंकार वृत्त्यनुप्रास है // 22 // जलाधिपस्त्वामदिशन्मयि ध्रुवं परेतराजः प्रजिघाय स स्फुटम् / मरुत्वतैव प्रहितोऽसि निश्चितं नियोजितश्चोर्ध्वमुखेन तेजसा // 23 // अन्वयः-जलाधिपः मयि त्वाम् अदिशत् ध्रुवम्. परेतराजः स ( त्वाम् )
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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