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________________ 1434 नैषधमहाकाव्यम् / रेवतीश ! हे रेवतीनक्षत्रपते! कामपाल ! हे मदनोद्दीपक ! शशधर ! कुमुदानां कैरवाणाम् , आविर्भावाय प्रकाशनाय, प्रस्फुटनायेत्यर्थः / भाविता सञाता, रुचिः दीप्तिः तस्य तादृशस्य, भवतः तव, तनुभासा देहप्रभया, ज्योत्स्नयेत्यर्थः। नीलस्य नीलवर्णस्य, अम्बरस्य गगनस्य, रुचिरा रमणीया, सुषमा परमा शोभा, उचितव युक्तव किल, जातेति शेषः / नीलाकाशे शुभ्रकान्तिशशधरस्य रम्यदर्शनत्वादिति भावः॥ 82 // हे रेवतीरमण ( बलराम ) ! हे कामपाल (बलराम, अथवा-भक्तमनोरथपूरक ) ! (पृथ्वीके भारको हरणकर ) पृथ्वी के हर्षके प्रादुर्भावसे रुचिको ( अथवा-गौरवर्ण होनेसे चन्द्ररुचिको ) उत्पन्न करनेवाले, आपके शरीरकी गौरकान्तिसे नीले कपड़ेकी रुचिर शोभा होना उचित ही है। (पक्षा०-हे रेवती नक्षत्रके स्वामी तथा कामवर्द्धक (चन्द्र)!) कुमुदको विकसित करने के लिए प्रकटित चाँदनीवाले तुम्हारे शरीरकी कान्तिसे नीले आकाशकी रुचिर ( हृद्य ) तथा उत्कृष्ट शोमा होना उचित ही है। [गौरवर्ण शरीर में नीले कपड़ेकी तथा नीले आकाशमें चाँदनीकी हृदयहारिणी उत्कृष्ट शोमाका होना सर्वविदित है ] // 82 // ( एकचित्तततिरद्वयवादिन त्रयीपरिचितोऽथ बुधस्त्वम् / पाहि मां विधुतकोटिचतुष्कः पञ्चबाणविजयी षडभिज्ञः / / 6 / / तत्र मारजयिनि त्वयि साक्षात्कुर्वति क्षणिकतात्मनिषेधौ / पुष्पवृष्टिरपतत्सुरहस्तात्पुष्पशस्त्रशरसन्ततिरेव / / 7 / / तावके हृदि निपात्य कृतेयं मन्मथेन दृढधैर्यतनुत्रे | कुण्ठनादतितमा कुसुमानां छत्रमित्रमुखतंव शराणाम् // 8 // यत्तव स्तवविधौ विधिरास्ये चातुरी चरति तञ्चतुरास्यः / त्वय्यशेषविदि जाग्रति शर्वः सर्वविब्रुवतया शितिकण्ठः // 6 / / धूमवत्कलयता युधि कालं म्लेच्छकल्पशिखिना करवालम् / कल्किना दशतयं मम कल्कं त्वं व्युदस्य दशमावतरेण // 10 // देहिनेव यशसा भ्रमतोव्यां पाण्डुरेण रणरेणुभिरुच्चैः। विष्णुना जनयितुर्भवताऽभून्नाम विष्णुयशसश्च सदर्थम् / / 11 / / सन्तमद्वयमयेऽध्वनि दत्तात्रेयमर्जुनयशोऽर्जुनवीरम् / नौमि योगजनितानघसंज्ञं त्वामलकभवमोहतमोऽकम् // 12 // 1. इमे दश श्लोकाः 'प्रकाश' व्याख्यया सहैवान स्थापिताः 2. 'परिचिताथ बुधस्त्वम्' इति, 'परिचिताध्वबुधस्त्वम्' इति च पाठान्तरम् / 3. '-यशोऽर्जुनबीजम्' इति पाठान्तरम्।
SR No.032782
Book TitleNaishadh Mahakavyam Uttararddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas Shastri
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year1997
Total Pages922
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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