________________ अष्टादशः सर्गः। 1175 की गयी भी केवल मुस्कुरायो, हँसी नहीं, क्योंकि कौन ( कुलीन स्त्री) अतिप्रसिद्ध (याअतिसुन्दर ), अपनी अमूल्य दन्तरूपी पारागमणियोंकी माला दूसरेको दिखलाती है ? [ कोई भी कुलीन स्त्री हँसकर पान खानेसे रक्तवर्ण अत एव पद्मराग मणितुल्य दन्तपंक्तियोंकी दूसरे ( पुरुष ) से नहीं दिखलाती, अर्थात पुरुषके सामने ऐसा नहीं हँसती कि सब दाँत दिखलायी पड़ें, अतएव दमयन्तीका वैसा करना भी उत्तम स्त्री होनेका सूचक है / लोकमें भी कोई व्यक्ति अपनी अमूल्य पद्मराग मणियोंकी माला दूसरेको नहीं दिखलाता है] It वीक्ष्य भीमतनयास्तनद्वयं मग्नहारमणिमुद्रयाऽङ्कितम् / सोढकान्तपरिरम्भगाढता सा त्वमानि सुमुखी सखीजनैः // 4 // वीक्ष्येति / सखीजनैः सहचरीभिः, भीमतनयास्तनद्वयं भैम्याः कुचयुगलम् , मग्नानां नलोरसा दृढनिपीडनात् अन्तःप्रविष्टानाम् , हारमणीनां कण्टभूषणस्थितरस्नानाम , मुद्रया चिह्न, मङ्कितं चिहितम् , वीचय दृष्ट्वा, सुमुखी सुवदना, सा भैमी, सोढा क्षान्ता, सोढुं समर्था इत्यर्थः / कान्तस्य प्रियस्य, यः परिरम्भः आलिङ्गनम् , तस्य गाढता दाढयं यया सा तादृशी, इति अमानि अबोधि / गाढपरिरम्भ विना स्तनयोस्तादृशचिह्वासम्भवः इत्यनुमितमित्यर्थः॥४७॥ सखियोंने दमयन्तीके दोनों स्तनोंमें गड़े हुए हारके मणियोंसे चिह्नित देखकर 'सुमुखी (प्रसन्न मुखमुद्रावाली) इस ( दमयन्ती) ने प्रिय (नल ) के गाढालिङ्गनको सहन कर लिया है। ऐसा अनुमान किया / [ 'स्मुखी' पदसे पतिकृत गाढालिङ्गनसे दमयन्तीका प्रसन होना ध्वनित होता है ] // 47 // याचते स्म परिधापिकाः सखोः सा स्वनीविनिबिडक्रियां यथा / अन्वमिन्वत तथा विहस्य ता वृत्तमत्र पतिपाणिचापलम् // 48 // __ याचते इति / सा दमयन्ती, परिधापिकाः वनपरिधापनकारिकाः, सखीः सहचरीः, यथा यादृशभावेन, स्वस्या पात्मनः, नीवेः वस्त्रग्रन्थेः, निबिडक्रियां दृढतासम्पादनम् , याचते रम प्रार्थयामास, तथा तेनैव कृत्वेत्यर्थः। ताः सख्यः, विहस्य मध्यमस्मितं कृत्वा, अन्न नीविदेशे, पत्युः भत्तः, पाणिचापलं करचाञ्चल्यम् , नीवि. ग्रन्थेराकर्षणमित्यर्थः / वृत्तं भूतम् , अन्वमिन्वत इत्यनुमितवत्यः, अन्यथा एतत्प्रा. र्थनाऽनुपपत्तेरिति भावः / मिनोते तङ॥४८॥ ___ उस ( दमयन्ती) ने वस्त्र पहनानेवाली सखियोंसे जो ( पाठा०-जव ) अपनी नीविकी गांठको कसकर बांधने के लिए कहा, तो (पाठा०-तब) उन (सखियों) ने हँसकर 'इस नीवि-देशमें पतिका हाथ चञ्चल हुआ है' अर्थात् 'इसको नलने हठपूर्वक खोलने के लिए हाथ बढ़ाया है। ऐसा अनुमान किया // 48 // 9. 'यदा' इति पाठान्तरम्। 2. 'तदा' इति पाठान्तरम् /