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________________ चतुर्दशः सर्गः। 857 द्वौ दमयन्तीनलौ सृजतः स्म असृजतां, चक्रतुः इत्यर्थः, आतेनिरे बहवो धराधिपा भैमीसखीलाभात् मङ्गलतूर्यध्वनि चरित्यर्थः / क्रमालङ्कारः॥ 97 // पुत्री ( दमयन्ती ) के विवाहोत्सवमें एक उस राजा भीमने हर्षपूर्वक मङ्गल (मङ्गल. जनक वाद्यादिवादन ) किया, राजा लोगों (या-राजाओंके अनुचरों) के अनिष्ट कथन ( दमयन्तीके नहीं मिलने से कटूक्ति) की शान्ति अर्थात् उसे नहीं सुनने के लिए दो ( दमयन्ती तथा नल ) ने हर्षपूर्वक मङ्गल (गीत, नृत्य, वादन आदि मङ्गलजनक कार्य किया तथा अपने-अपने शिवरोंको लक्षितकर जाते हुए बहुत राजाओंने ( दमयन्तीके तुल्य उसकी सखियोंको स्त्रीरूपमें प्राप्त करनेसे ) हर्षपूर्वक मङ्गल (पटह-भेर्यादिका वादनरूप मङ्गल ) किया। [इस प्रकार एक राजा भीमने, दो दमयन्ती तथा नलने और बहुत राजाओंने हर्षपूर्वक मङ्गल कार्य किया; अर्थात् सभीने हर्षपूर्वक मङ्गल मनाया ] // 97 // श्रीहर्ष कविराजराजिमुकुटालङ्कारहीरः सुतं श्रीहीरः सुषुवे जितेन्द्रियचयं मामल्लदेवी च यम् / यातस्तस्य चतुर्दशः शरदिजज्योत्स्नाच्छसूक्तेर्महा काव्ये चारुणि नैषधीयचरिते सर्गो निसर्गोज्ज्वलः // 6 // श्रीहर्षमिति / शरदि भवा शरदिजा 'सप्तम्यां जनेर्डः' / 'प्रावृटशरत्कालदिवां जे' इति सप्तम्या अलुक्या ज्योत्स्ना तद्वदच्छा मृष्टाः, सूक्तयः यस्य तादृशस्य / गतमन्यत् // 98 // इति मल्लिनाथविरचिते 'जीवातु' समाख्याने चतुर्दशः सर्गः समाप्तः / / 14 // कवीश्वर समूहके........"किया, शरत्कालीन चाँदनीके समान निर्मल ( पक्षा० - निर्दोष ) सूक्तिवाले उसके रचित नलके चरित..."यह चतुर्दश सर्ग समाप्त हुआ। (शेष व्याख्या चतुर्थ सर्गवत् जाननी चाहिये ) // 98 // यह 'मणिप्रभा' टीकामें 'नैषधचरित'का चतुर्दश सर्ग समाप्त हुआ // 14 // पञ्चदशः सर्गः अथोपकार्यों निषधावनीपतिर्निजामयासीद्वरणस्रजाऽन्वितः / वसूनि वर्षन् सुबहूनि वन्दिना विशिष्य भैमीगुणकीर्तनाकृताम् // 1 // अथेति / अथ स्वयंवरानन्तरं, निषधावनीपतिः नलः, वरणस्रजा अन्वितः सन् वन्दिनां स्तुतिपाठकानाम् , अपरेषामिति भावः, तत्रापि भैमीगुणकीर्तनां कुर्वन्तीति 1. 'वर्णनाकृताम्' इति पाठान्तरम् /
SR No.032782
Book TitleNaishadh Mahakavyam Uttararddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas Shastri
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year1997
Total Pages922
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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