________________ संक्षिप्त कथासार [ नवमसर्गपर्यन्त ] . प्रथम सर्ग . निषध देशके महाराज नलके गुणोंका वर्णन / उनके गुणोंको दूत, द्विज और वन्दी आदिसे सुनकर विदर्भ देशके नरेश भीमकी पुत्री दमयन्तीका उनमें पूर्वरागका वर्णन / उसी तरह दमयन्तीके लोकोत्तर सौन्दर्य और गुणगणोंको सुनकर उन पर नलके अनुरागका वर्णन / दमयन्तीके विरहसे आकुल होकर सभाभवनमें रहने में नलकी असमर्थता / मन बहलाने के लिए बागीचेमें जाने के लिए उनकी इच्छा / नलके घोड़ेका वर्णन / घुड़सवार अपने वयस्योंके साथ उपवन में नलकी यात्राका वर्णन / उपवन के साथ वहाँके तालाबका सविस्तर वर्णन / वहाँपर एक सुनहरे हंसको देखकर नल द्वारा उसका ग्रहण / मनुष्यवाणीमें नलकी निन्दा कर अपनी माता, हंसी और बच्चोंकी शोचनीयताको प्रकाश कर हंपका अतिकरुण विलाप करना / उससे आर्द्रचित होकर सहृदय नलका उसे छोड़ देना। द्वितीय सर्ग नलसे छुटकारा पाकर हंसका अपने घोंसले में जाना और वहाँसे लौटकर फिर राजाके पास आना / हंसका राजाके लिए मृगयाका समर्थन करना और और प्रत्युपकारके लिए दमयन्तीका और उनके सौन्दर्य आदिका सविस्तर वर्णन कर राजाके प्रति दमयन्तीकी आमक्ति उत्पन्न कराने की प्रतिज्ञा करना। दमयन्तीके विरहसे अपनी अवस्थाका गजा द्वारा वर्णन / गजाकी अनुमतिसे आकाश मार्गसे हंस का कुण्डिनपुर के प्रति प्रस्थान / प्रस्थान-गमयमें शकुन आदिका वर्णन / कुण्डिनपुर वहाँके भवनोंका और गजप्रमादका गविस्तर वर्णन उपवनका वर्णन और हमका उपवन में मग्रियों के माथ दमयन्तीको देखना / तृतीय सर्ग दमयन्तीके पास जमीनपर हंमका उतरना। उसे देखकर पकड़ने के लिए दमयन्तीको इच्छा / उनकी सखियोंका निषेध / दमयन्तीका अभिप्राय जानकर प्रतारण कर हंसका सखियोंसे वहत दूर .एकान्त स्थानमें दमयन्तीको पहुँचाना और मनुष्यवाणीसे उनको उलाहना देकर अपना परिचय देकर नलके गुणोंका