SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुलनात्मक धर्मविचार. प्रतीत होता है कि धार्मिक प्रगोगों से भिन्न प्रयोग भी प्रचलित व्यवहार में उपयोग किए जाते होंगे और जब इन्हें धार्मिक प्रयोगों में लाया गया होगा तब समाज के धर्म से वह संमत हैं और यह धर्म उनको स्वीकृत है ऐसी प्रस्तावना बना कर ही युक्तिपूर्वक उन प्रयोगों का मिश्रण किया गया होगा ऐसी सम्मति और स्वीकृति केवल वाह्य नहीं थी। वास्तव में इनका अर्थ इतना ही है कि प्रतिकार रूपी जादु समाज का रक्षण करने में काम में लाया जाने से समाज के हित के लिए हानिकारक जादु से उसे अलग ही प्रकार का गिना जाता, इस प्रकार प्रतिकार रूपी जादु के उपयोग से जो समाज के सुख के लिए किया जाता, समाज की रक्षा करने वाले देवता भी उसे स्वीकार कर सकते। तो भी ऐसे जादु के प्रयोगों से देवताओं की ओर से बल मिलता ऐसी धार्मिक भावना करनी ही पड़ती / इसी कारण के लिए उन प्रयोगों के मंत्र बनाए गए हैं। आघात और प्रत्याघात बराबर हिस्से में ही होते हैं / जब इस प्रतिकार रूपी जादु को इस प्रकार नीति के ऊंचे आसन पर लाए तब उतने ही प्रमाण में धर्म ढीला पड़ता है / प्रतिकार रूपी जादु के संबंध के लिये देवता भी जादुगरों की श्रेणी में आ गए। धार्मिक प्रस्तावनाओं के संबंध भी दृष्य मात्र के लिए नहीं रह सके बल्कि रहे ही नहीं और परिणाम ऐसा आया कि जादु को निष्फल करना यहीं बैंबिलोनिया के मुख्य देव मेरोडाक का महत्व
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy