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________________ 58 समाज से किया गया है ऐसा माना जाने से उस प्रतिज्ञा को लेकर देवता समाज की आफतें दूर करने के लिए बंधे हैं परन्तु वह समाज के किसी एक ही मनुष्य पर आफत पड़ने से उसके बचाने के लिये बंधे नहीं हैं ऐसा माना जाता था / रोग और मृत्यु जैसे एक व्यक्ति पर आ जाते हैं उनसे बचने के लिए मनुष्य को स्वयम् ही प्रयास करना पड़ता है मनुष्यत्व के विकास के पूर्वावस्था में जब ऐसा समझा जाता था कि प्रत्येक विषय किसी व्यक्ति के करने पर ही होता था तब रोग और मरण भी किसी व्यक्ति से ही उत्पन्न होते थे ऐसा माना जाता था इसलिए रोग और मृत्यु लाने वाली शक्ति रखने वाले किसी मनुष्यने द्वेष भाव से ऐसा किया होगा ऐसा मानते थे / ऐसे मनुष्य का खोज निकालने के लिए जो ऐसा दुष्कर्म करता हो उसकी शोध की जाती और ढूंडनेवाले को ऐसे मनुष्य का पता भी लग जाता / ऐसा मनुष्य विचित्र देखाव पुष्ट रीतभात तथा कुदृष्टि पर से पहिचाना जाता और इसके लिए ही वह मनुष्य अद्भुत पाप कर्म करता होगा ऐसी धारणा उत्पन्न होती ऐसे पुरुष या ऐसी स्त्री में अद्भुत शक्ति होगी ऐसा माना जाता अर्थात् वह यदि पुरुष होतो उसे जादुगर तथा यदि स्त्री हो तो उसे चुडैल के रूप में मानते / रोग और मृत्यु के मुख में पड़े हुए किसी भी मनुष्य के संबंधी, यह किसने किया होगा इस विषय की शोध करते तब ऐसे मनुष्य पर वहम आता / ऐसे वहमी पुरुष भी हमारे में अद्भुत शक्ति है और इस लिए
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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