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________________ यज्ञ. ___इस प्रकार समाज में से आफत दूर करने के लिए दिए जाने वाले मनुष्यके बलिदानका रूप प्राचीन यज्ञ भावना से मिलता हुआ प्रतीत होता है तो भी सबसे पहले ऐसे ही मनुष्ययज्ञ होते होंगे और दूसरे यज्ञ नहीं यह कल्पना हम कर नहीं सकते। धम्मों की तुलनासे प्रकट होनेवाला मनुष्य यज्ञ की क्रियाओंका सामान्य इतिहास उपलिखित प्रकार मिलता है / परन्तु भिन्नभिन्न धर्मों में इस क्रिया की जितने अंश में सान्यता दीखती उतने ही अंशका हमने ध्यान दिया है। अब हम उसके भिन्न भिन्न अंशोंका अवलोकन करेंगे। उन्नतिमें आगे बढ़े हुए मेक्सिको में पंद्रहवी शताब्दी तक मनुष्य यज्ञ किया जाता था। वहांके एज़क्स लोगोंने इस क्रियाको कमती न करते हुए अत्यंत ही भयंकर प्रमाण में बढ़ा दिया था / ई. स. 1445 से आरंभ हुए भारी दुष्कालमें उन्होंने देवताओंको प्रसन्नकरनेके लिए बहुतसे मनुष्य यज्ञ किए थे / इसके अतिरिक्त उनके साम्राज्य की वृद्धि करनेवाले प्रतापी विजय प्राप्त करनेके लिए भी अनेक मनुष्य यज्ञ किएथे। प्रत्येक उत्सव प्रत्येक विजय प्रसंगपर प्रत्येक ऋतुकी आरंभ में प्रत्येक राज्याभिषेकके समय में और प्रत्येक देवस्थान देवताओं के अर्पण करते समय वह मनुष्य बलि चढ़ाते और उत्सवकी महत्ताके अनुसार बलिदान की संख्या में वृद्धि करते / यहां
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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