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________________ 34 यश देते हैं। परन्तु ऐसे बलिदान अधिकांश में समाज की व्यक्तिओं की ओर से दिए जाने से उस पर अभी हमारे ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है कारण कि सार्वजनिक देव यज्ञों में समाज की ओर से नियमानुसार किस प्रकार का बलिदान दिया जाता है उसी के संबंध में हमें विचार करना है / ___ऊपर बताए हुए अन्न पशु तथा वनस्पतिओं के बलिदान से यज्ञ करने वाले अपनी शक्ति अनुसार बलिदान दे नहीं सकते परन्तु रीति का अनुकरण करके जिस देव को जो वस्तु बलिदान दी जाती है उस देवता को वही बलिदान देना पड़ता है। आफतें दूर करने के लिये तथा समृद्धि शाली बनने के लिए, किए जाने वाले ऐसे सार्वजनिक देवयज्ञों में देवताओं को प्रसन्न करने के निमित्त केवल बलिदान की ही आवश्यकता हो तो चाहे किसी वस्तु के बलिदान से देवता प्रसन्न होने चाहिएं / परन्तु ऐसा न होने का क्या कारण होगा ऐसा प्रश्न स्वाभाविक रीति से प्रत्येक के मन में उत्पन्न होता होगा यह संभव है। इस प्रश्न का निर्णय करने से पूर्व एक ऐतिहासिक विषय समझने की आवश्यकता है। धार्मिक इतिहास में कई वार अपने देखने में आता है कि उस देव को उस पशु अथवा वृक्ष का बलिदान देना निश्चित् किया होता है उस देव को उस पशु अथवा वृक्ष के नाम से पहिचाना जाता है, उदाहरण रूप,
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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