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________________ तुलनात्मक धर्मविचार. 33 जनिक यज्ञ कहने में आता। तदनन्तर जिन यज्ञों द्वारा समाज की व्यक्तिएं स्वयम् स्वतंत्र रीति से अपने देवताओं की समीपता प्राप्त करके अपने अंगत कार्य कर सकते ऐसे स्वकीय यज्ञ प्रचलित हुए / इस प्रकार देव यज्ञ के दो भाग किए गए देखने में आते हैं। लिखित इतिहास रखने वाले धर्मों में सार्वजनिक देव यज्ञों का जितना प्रचार देखने में आता है उतना सार्वजनिक पितृयज्ञ का प्रचार देखने में नहीं आने से हम भी यह अनुमान कर सकते हैं कि पितृयज्ञ धर्म में पीछे से दाखल हुआ होगा और भिन्नभिन्न पितरों के वंशज अपने पितरों के निमित ऐसे यज्ञ कर सकने से तथा दूसरे कुलोत्पन्न मनुष्य इस में भाग न ले सकने से यह यज्ञ स्वकीय यज्ञों के रूप में प्रचलित रहे / ___ बौद्ध, इस्लाम और ईसाई इन तीन धर्मों के सिवाय बाकी के सब धर्मों में सामान्य रीति पर देवयज्ञ करने में आते हैं और ऐसे यज्ञ सब समाज इकठ्ठा मिल कर करती है अथवा अपने प्रतिनिधि रूप अधिकारी द्वारा कराती है। ऐसे यज्ञों में बहुतायत से समाज अन्न का ही बलिदान देते हैं। परन्तु बहुत कर के पशुओं तथा वनस्पतिओं का बलिदान भी किया जाता है। जापान के शिन्तो धर्म के अनुयायी ऐसे सार्वजनिक देवयज्ञों में बलि के रूप में भाले, ढाल, तीर तथा वस्त्रालंकार
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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